Sunday, February 12, 2023

Hindi Depression Poetry


 उसे लगता है कि

मैं एक अलसाई हुई सी लड़की हूं।
किसी दोपहर की तरह
अंगड़ाइयां लेती
चुप-चाप सुस्ताई सी,
थोड़ी सोती,थोड़ी जागती
जैसे किसी नशे की गिरफ्त में
उबासियां भर्ती कुसमुसाई सी।

मगर वो समझ नहीं पाता है
मेरे भीतर की तपती दुपहरी को,
चिलमीलाती धुप से
जलते मेरे ह्रदय को,
वो महसूस नहीं कर पाता है
उस खामोशी को,
वो सुन नहीं पाता है,
उन तेज तूफानों को जो
मेरे अंदर उन्मादों का
कोई ढेर बनाए जा रहा है,
और मैं उनमें दबी जा रही हूं
मेरा दम घुटने लगता है।
मेरी खिलखिलाहटें
मेरे उमंग, मेरे सपने, सब दबकर
अवसाद बन ,मेरे जीवन के
रंगों को काला कर रही हैं।
और मैं फिर हो जाती हूं बेजान सी,
और उसे लगता है मैं हूं अलसाई सी
लड़की किसी दोपहरी कि तरह।

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